उत्तरी आयरलैंड संघर्ष The Troubles Na Trioblóidí द ट्रबल्स | ||||||||
---|---|---|---|---|---|---|---|---|
आयरलैंड द्वीप का राजनैतिक मानचित्र | ||||||||
| ||||||||
योद्धा | ||||||||
सरकारी सुरक्षा बल:
|
आयरिश गणतंत्रीय अर्धसैनिक गुट:
|
संघवादी अर्धसैनिक गुट:
| ||||||
मृत्यु एवं हानि | ||||||||
ब्रिटिश सेना: 705 RUC: 301 NIPS: 24 TA: 7 अन्य पुलिस बल: 6 शाही वायु सेना: 4 शाही नौसेना: 2 कुल : 1,049 |
PIRA: 292 INLA: 38 OIRA: 27 IPLO: 9 RIRA: 2 Total: 368 8,000+ arrested |
UDA: 91 UVF: 62 RHC: 4 LVF: 3 UR: 2 UPV: 1 Total: 162 | ||||||
नागरिक मौतें: 1,840 |
उत्तरी आयरलैंड संघर्ष, उत्तरी आयरलैंड मुठभेड़ जिन्हें द ट्रबल्स (आयरिश: Na Trioblóidí, अंग्रेज़ी: the Troubles; समस्याएँ) भी कहा जाता है, उत्तरी आयरलैंड में 20 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में व्याप्त जातीय-राष्ट्रवादी संघर्ष थे, जिन्हों ने हिंसक रूप ले लिया था। इसे कभी-कभी "अनियमित युद्ध" या "निम्न-स्तरीय युद्ध" कहकर भी वर्णित किया जाता है। यह संघर्ष 1960 के दशक के अंत में शुरू हुआ और भरी हद तक 1998 के गुड फ्राइडे समझौते के साथ समाप्त हुआ माना जाता है। हालांकि ये मुठभेड़ मुख्य रूप से उत्तरी आयरलैंड में हुईं थीं, मगर कई बार यह हिंसा आयरलैंड गणराज्य, इंग्लैंड और यूरोपीय मुख्यभूमि के अन्य कुछ हिस्सों में भी फैल गई थीं।
ये मुख्य रूप से राजनीतिक और राष्ट्रवादी संघर्ष ऐतिहासिक घटनाओं द्वारा प्रेरित था जो मुख्य रूपसे सम्पूर्ण आयरलैंड के आज़ादी मांग रहे आयरिश राष्ट्रवादियों और उत्तरी आयरलैंड का यूनाइटेड किंगडम का हिस्सा बने रहने का समर्थन कर रहे संघवादियों। संघवादी, जो ज्यादातर प्रोटेस्टेंट थे जबकि अधिकांश आयरिश राष्ट्रवादी, कैथोलिक थे: अतः, इन हिंसक झड़पों में साम्प्रदायिक तनाव की भी स्थिति थी। बहरहाल, इसका मुख्य मुद्दा, उत्तरी आयरलैंड की संवैधानिक स्थिति ही थी।
1960 के दशक से 1990 के दशक तक चले इस संघर्ष में राष्ट्रवादी अर्धसैनिक गुट, संघवादी अर्धसैनिक गुट, ब्रिटिश सशस्त्र बल, राजनीतिक कार्यकर्ता और अनेक राजनेता शामिल थे, तथा इन 40 वर्षों में कुल 3,500 से अधिक लोग मारे गए थे।
ये मुख्य रूप से राजनीतिक और राष्ट्रवादी संघर्ष ऐतिहासिक घटनाओं द्वारा प्रेरित था। इसका एक जातीय या सांप्रदायिक पहलु भी था जो उत्तरी आयरलैंड में रोमन कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट सम्प्रदायों के बीच दंगों और सांप्रदायिक हिंसा का कारण बना, परंतु इस मुठभेड़ में संलग्न दोनों पक्षों को संदर्भित करने के लिए "प्रोटेस्टेंट" और "कैथोलिक" शब्दों के उपयोग के बावजूद, यह एक धार्मिक/सांप्रदायिक संघर्ष नहीं था। इसका प्रमुख मुद्दा यूनाइटेड किंगडम में उत्तरी आयरलैंड की संवैधानिक और राजनैतिक स्थिति थी। यह मुख्य रूपसे आयरिश राष्ट्रवादियों और उत्तरी आयरलैंड के संघवादियों के बीच का संघर्ष था। संघवादी, जो ज्यादातर प्रोटेस्टेंट थे, चाहते थे कि उत्तरी आयरलैंड यूनाइटेड किंगडम का हिस्सा बना रहे, जबकि आयरिश राष्ट्रवादी, जो ज्यादातर कैथोलिक थे, चाहते थे कि उत्तरी आयरलैंड यूनाइटेड किंगडम छोड़ कर ब्रिटेन से पूर्णतः स्वतंत्र संयुक्त आयरलैंड गणराज्य में शामिल हो जाए।
यह संघर्ष उत्तरी आयरलैंड नागरिक अधिकार संघ द्वारा उत्तरी आयरलैंड के प्रोटेस्टेंट/संघवादी सरकार और पुलिस द्वारा कैथोलिक/राष्ट्रवादी अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे भेदभाव को समाप्त करने के लिए एक अभियान के वजह से शुरू हुआ था। अधिकारियों ने पुलिस बर्बरता के साथ विरोधी अभियान को दबाने का प्रयास किया; इसमें संघवादियों की हिंसा से भी जवाबी हिंसा किया। अगस्त 1969 में बढ़ते तनाव के कारण गंभीर हिंसा हुई और ब्रिटिश सेना की तैनाती हुई। आयरलैंड की तैनाती ब्रिटिश सेना का अब तक का सबसे लंबा अभियान था। दोनों समुदायों को अलग रखने के लिए समुदायीं बहुल क्षेत्रों के बीच 'शांति दीवारें' बनाई गईं। कुछ कैथोलिकों ने शुरू में ब्रिटिश सेना का अधिक तटस्थ बल के रूप में स्वागत किया, लेकिन जल्द ही उन्हें भी शत्रु और पक्षपाती के रूप में देखा जाने लगा, विशेष रूप से 1972 में ब्लडी संडे (खूनी रविवार) के बाद। इसके बाद राष्ट्रवादी सशस्त्र अर्धसैनिक संगठन भी जवाबी कार्यवाही में मैदान में शामिल हो गए, जल्दी ही इस झड़प के सबसे हिंसक गुठ बन गए।
संघर्ष में मुख्य भागीदार गणतंत्रीय अर्धसैनिक बल, संघवादी अर्धसैनिक बल, ब्रिटिश सशस्त्र बल और राजनीतिक कार्यकर्ता और राजनेता थे। आयरलैंड गणराज्य के सुरक्षा बलों ने एक छोटी भूमिका निभाई। रिपब्लिकन अर्द्धसैनिकों ने ब्रिटिश सुरक्षा बलों पर छापामारी हमलों के साथ-साथ अवसंरचनात्मक, वाणिज्यिक और राजनीतिक लक्ष्यों के खिलाफ बमबारी अभियान भी चलाया। संघवादियों ने राष्ट्रवादियों को निशाना बनाते हुए प्रतिशोध के नाम पर व्यापक कैथोलिक समुदाय पर भी हमला किया। कभी-कभी, सांप्रदायिक प्रतिशोधात्मक हिंसा के मुकाबलों के साथ एक ही धारी के अर्धसैनिक समूहों के भीतर भी झगड़े होते थे। ब्रिटिश सुरक्षा बलों ने मुख्य रूप से गणराज्यवादियों के खिलाफ एक पुलिस और आतंकवाद विरोधी भूमिका निभाई। ब्रिटिश सुरक्षा बलों और निष्ठावान अर्धसैनिक बलों के बीच कुछ घटनाएं हुईं। इस संघर्ष में कई दंगे, बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और सविनय अवज्ञा के कार्य भी शामिल थे, और इससे अलगाव बढ़ गया और कई जगहों को नो-गो ज़ोन भी नामित किया गया।
इस संघर्ष में 3,500 से अधिक लोग मारे गए थे, जिनमें से 52% नागरिक थे, 32% ब्रिटिश सुरक्षा बलों के सदस्य थे और 16% अर्धसैनिक समूहों के सदस्य थे। रिपब्लिकन अर्धसैनिक 60% मौतों के लिए जिम्मेदार थे, जबकि संघवादी 30% और सुरक्षा बल 10% मौतों के ज़िम्मेदार थे। गुड फ्राइडे समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद से भी छिटपुट हिंसा हुई है, जिसमें चल रहे प्रतिशोधी हमलों और असंतुष्ट रिपब्लिकन राजनेताओं द्वारा अभियान शामिल है।
गुड फ्राइडे समझौते पर 10 अप्रैल 1998 को हस्ताक्षरित किया गया था जिसके बाद उत्तरी आयरलैंड संघर्ष की अधिकांश हिंसक झड़प समाप्त हो गए थे; 1960 के दशक से 1990 के दशक तक चले संघर्ष के बाद उत्तरी आयरलैंड शांति प्रक्रिया में यह एक प्रमुख मील का पत्थर साबित हुआ था। । इसमें दो समझौतों का समूह है। जिनके केंद्रीय मुद्दे थे:संप्रभुता, नागरिक और सांस्कृतिक अधिकारों से संबंधित मुद्दे साथ ही हथियारों का विघटन, विमुद्रीकरण, न्याय और पुलिस प्रशासन ।
22 मई 1998 को आयोजित दो जनमत संग्रह में पूरे आयरलैंड द्वीप के मतदाताओं द्वारा समझौते को मंजूरी दी गई थी। उत्तरी आयरलैंड में, 1998 के जनमत में मतदाताओं से पूछा गया था कि क्या उन्होंने बहु-पक्षीय समझौते का समर्थन करते हैं या नहीं। आयरलैंड गणराज्य में, मतदाताओं से पूछा गया था कि क्या वे सर्कार को समझौते पर हस्ताक्षर करने की अनुमति और इसे लागु करने हेतु आवश्यक संवैधानिक संशोधन करने की अनुमति देंगे या नहीं। इस समझौते को लागु करने हेतु दोनों देशों के लोगों को समझौते को मंजूरी देने की आवश्यकता थी। यह समझौता 2 दिसंबर 1999 को लागू हुआ। इसका विरोध करने वाला उत्तरी आयरलैंड का एकमात्र प्रमुख राजनीतिक दल डेमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी था।
उत्तरी आयरलैंड की सरकार की वर्तमान अवक्रमित प्रणाली इसी समझौते पर आधारित है। इस समझौते ने उत्तरी आयरलैंड और आयरलैंड गणराज्य के बीच एवं आयरलैंड गणराज्य और यूनाइटेड किंगडम के बीच कई शान्ति संस्थान स्थापित किये हैं।
The troubles were over, but the killing continued. Some of the heirs to Ireland's violent traditions refused to give up their inheritance.
The term 'the Troubles' is a euphemism used by people in Ireland for the present conflict. The term has been used before to describe other periods of Irish history. On the CAIN web site the terms 'Northern Ireland conflict' and 'the Troubles', are used interchangeably.
The Northern Ireland conflict, known locally as 'the Troubles', endured for three decades and claimed the lives of more than 3,500 people.
The most popular school of thought on religion is encapsulated in McGarry and O'Leary's Explaining Northern Ireland (1995), and it is echoed by Coulter (1999) and Clayton (1998). The central argument is that religion is an ethnic marker, but that it is not generally politically relevant in and of itself. Instead, ethnonationalism lies at the root of the conflict. Hayes and McAllister (1999a) point out that this represents something of an academic consensus.
...these attitudes are not rooted particularly in religious belief, but rather in underlying ethnonational identity patterns.
It should, I think, be apparent that the Northern Irish conflict is not a religious conflict... Although religion has a place—and indeed an important one—in the repertoire of conflict in Northern Ireland, the majority of participants see the situation as primarily concerned with matters of politics and nationalism, not religion. And there is no reason to disagree with them.
Northern Ireland Troubles से संबंधित मीडिया विकिमीडिया कॉमंस पर उपलब्ध है। |