एल्ब्रुस पर्वत एक सुप्त ज्वालामुखी है जो कॉकस क्षेत्र की कॉकस पर्वत शृंखला में स्थित है। इसके दो शिखर हैं - पश्चिमी शिखर ५,६४२ मीटर (१८,५१० फ़ुट) ऊंचा है और पूर्वी शिखर उस से ज़रा कम ५,६२१ मीटर (१८,४४२ फ़ुट) ऊंचा है। यूरोप और एशिया की सीमा कॉकस के इलाक़े से गुज़रती है और इस बात पर विवाद है के एल्ब्रुस यूरोप में है या एशिया में। अगर इसको यूरोप में माना जाए, तो यह यूरोप का सबसे ऊंचा पर्वत है। एल्ब्रुस रूस के काराचाए-चरकस्सिया क्षेत्र में स्थित है और जॉर्जिया की सीमा के काफ़ी नज़दीक है।
एल्ब्रुस का नाम इसके प्राचीन नाम "अल बुर्ज़" में शब्दांश स्थानांतरण होने से बना है। ईरान की अवस्ताई भाषा की ऐतिहासिक कथाओं में एक "हरा बरज़ाइती" नाम का काल्पनिक पर्वत हुआ करता था जिसके इर्द-गिर्द ब्रह्माण्ड के सारे तारे और ग्रह परिक्रमा करते हैं। कुछ ईरानी विद्वानों का कहना है के शायद यही "अल बुर्ज़" के नाम की प्रेरणा हो। "बरज़ाइती" शब्द प्राचीन अवस्ताई के "बरज़न्त" शब्द का एक स्त्रीलिंग रूप है, जिसका अर्थ है "ऊंचा"। आधुनिक फ़ारसी में "बरज़न्त" बदल कर "बुलन्द" (بلند) हो गया है, जो कि हिन्दी में भी प्रयोग होता है। क्योंकि संस्कृत और अवस्ताई दोनों हिन्द यूरोपीय भाषा परिवार की भाषाएँ होने के नाते आपस में रिश्ता रखती हैं, इसलिए "बरज़न्त" का संस्कृत में भी एक मिलता-जुलता सजातीय शब्द है - "बृहत्", जो हिन्दी में बदल कर "बहुत" हो गया है।
एल्ब्रुस कॉकस पर्वत शृंखला की महाकॉकस श्रंखला से क़रीब २० किमी (१२ मील) उत्तर में है और किस्लोवोद्स्क नाम के रूसी शहर से दक्षिण-पश्चिम में क़रीब ६५ किमी की दूरी पर। इसके ऊपर एक बर्फ़ की ओढ़नी हमेशा जमी रहती है, जिस से २२ हिमानियाँ नीचे की ओर बर्फ़ का मुसलसल बहाव चालू रखती हैं। इन हिमानियों से इस क्षेत्र की कुछ मुख्य नदियाँ - बक्सान नदी, कुबान नदी और मलका नदी - जन्म लेती हैं। हालांकि एल्ब्रुस को एक मृत ज्वालामुखी माना जाता है, वैज्ञानिकों का कहना है के इसके नीचे एक बहुत ही बड़ा और गहरा मैग्मा (पिघले पत्थर और अन्य पदार्थ) का भण्डार है।