जीरा | |
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वैज्ञानिक वर्गीकरण | |
जगत: | पादप |
अश्रेणीत: | एंजियोस्पर्म |
अश्रेणीत: | एकबीजपत्री |
अश्रेणीत: | ऍस्टरिड्स |
गण: | एपियेलिस |
कुल: | ऍपियेशी |
वंश: | क्यूमिनम |
जाति: | C. cyminum |
द्विपद नाम | |
Cuminum cyminum L. |
जीरा (वानस्पतिक नाम:क्यूमिनम सायमिनम) ऍपियेशी परिवार का एक पुष्पीय पौधा है। यह पूर्वी भूमध्य सागर से लेकर भारत तक के क्षेत्र का देशज है। इसके प्रत्येक फल में स्थित एक बीज वाले बीजों को सुखाकर बहुत से खानपान व्यंजनों में साबुत या पिसा हुआ मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह दिखने में सौंफ की तरह होता है। संस्कृत में इसे जीरक कहा जाता है, जिसका अर्थ है, अन्न के जीर्ण होने में (पचने में) सहायता करने वाला।
"जीरा" संस्कृत भाषा के "जीरक" से आता है, अर्थात जो पचनक्रिया में सहाय करता है। अंग्रेज़ी में "क्युमिन" शब्द की उत्पत्ति पुरातन अंग्रेज़ी के शब्द सायमैन या लैटिन भाषा के शब्द क्युमिनम, से हुई है। यह शब्द मूलतः यूनानी भाषा के κύμινον (kuminon), के लातिनीकरण से बना है। इसका साथ यहूदी भाषा के כמון (कॅम्मन) एवं अरबी भाषा के كمون (कैम्मन) ने दिया है। इस शब्द के रूप का समर्थन कई प्राचीन भाषाओं के शब्द हैं, जैसे अक्कैडियाई भाषा में कमूनु,, सुमेरियाई भाषा में गैमुन। माईसेनियाइ यूनानी भाषा का शब्द κύμινον (क्युमिनॉ) इसका प्राचीनतम उदाहरण है।
जीरा इसी नाम (जैविक नाम: क्युमिनम सायमिनम) के जैविक पौधे के बीज को कहा जाता है। यह पौधा पार्स्ले परिवार का सदस्य है। इसका पौधा 30–50 से॰मी॰ (0.98–1.64 फीट) की ऊंछाइ तक बढ़ता है और इसके फ़लों को हाथ से ही तोड़ा जाता है। यह वार्षिक फ़सल वाला मुलायम एवं चिकनी त्वचा वाला हर्बेशियस पौधा है। इसके तने में कई शाखाएं होती हैं एवं पौधा २०-३० सेंमी ऊंचा होता है। प्रत्येक शाखा की २-३ उपशाखाएं होती हैं एवं सभी शाखाएं समान ऊंचाई लेती हैं जिनसे ये छतरीनुमा आकार ले लेता है इसका तना गहरे हरे रंग का सलेटी आभा लिये हुए होता है। इन पर ५-१० सेंमी की धागे जैसे आकार की मुलायम पत्तियां होती हैं। इनके आगे श्वेत या हल्के गुलाबी वर्ण के छोटे-छोटे पुष्प अम्बेल आकार के होते हैं। प्रत्येक अम्बेल में ५-७ अम्ब्लेट होती हैं।