थायलेसीन Thylacine | |
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सन् १९०६ में एक अमेरिकी चिड़ियाघर में दो थायलेसीन | |
वैज्ञानिक वर्गीकरण | |
जगत: | जंतु |
संघ: | कौरडेटा (Chordata) |
वर्ग: | स्तनधारी (Mammalia) |
अध:वर्ग: | मारसूपियलिया (Marsupialia) |
गण: | डैसयूरोमोर्फ़िया (Dasyuromorphia) |
कुल: | †थायलेसायनिडाए (Thylacinidae) |
वंश: | †थायलासिनस (Thylacinus) |
जाति: | †थायलासिनस सायनोसेफ़ालस |
द्विपद नाम | |
Thylacinus cynocephalus (हैरिस, १८०८) | |
पर्यायवाची | |
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थायलेसीन (Thylacine) आधुनिक युग का सबसे ज्ञात मांसाहारी धानीप्राणी (मारसूपियल) था। इसे अपनी पीठ की धारियों के कारण तस्मानियाई शेर (Tasmanian tiger) भी कहा जाता है। कुछ लोग इस तस्मानियाई भेड़िया (Tasmanian wolf) भी बुलाते हैं। यह ऑस्ट्रेलिया की मुख्यभूमि, तस्मानिया द्वीप और न्यू गिनी का निवासी था लेकिन मानना है कि यह २०वीं सदी में विलुप्त हो गया। यह अपने 'थायलेसायनिडाए' (Thylacinidae) नामक जीववैज्ञानिक कुल की आख़री जीवित जाति थी क्योंकि अन्य सभी जातियाँ मध्यनूतन युग, यानि आज से ५० लाख वर्ष पूर्व, के अंत तक पहले ही विलुप्त हो चुकी थीं।
जब तक १८वीं और १९वीं सदियों में यूरोपी लोग ऑस्ट्रेलियाई मुख्यभूमि में आकर बसे, थायलेसीन वहाँ या तो विलुप्त हो चुका था या विलुप्ति की कागार पर था। लेकिन मुख्यभूमि से हटकर तस्मानिया के द्वीप पर यह तस्मेनियाई डेविल जैसे अन्य जातियों की तरह जीवित था। जब वहाँ भी यूरोपी लोगों का डेरा हुआ तो इसे मारने के लिए सरकारी इनाम दिए जाने लगे। धीरे-धीरे यह ख़त्म होने लगा। १९३६ में अंतिम ज्ञात थायलेसीन ने तस्मानिया की राजधानी होबार्ट के चिड़ियाघर में दम तोड़ दिया और यह जाति विलुप्त हो गई। इसकी विलुप्ति के कई कारण बताये जाते हैं जिनमें मानवों द्वारा शिकार, बिमारी का फैलना, तस्मानिया में कुत्तों का आ जाना और थायलेसीन के जंगली निवास स्थानों में इंसानों का आ धमकना शामिल हैं। जनवरी २०१३ में बहुत छानबीन के बाद वैज्ञानिकों में मानव-गतिविधियों को ही इसकी विलुप्ति का ज़िम्मेदार ठहराया।