नवाचार या नवप्रवर्तन(अंग्रेज़ी-Innovation), अर्थशास्त्र, व्यापार, तकनीकी एवं समाज शास्त्र में बहुत महत्व का विषय है। नवाचार (नव+आचार) का अर्थ किसी उत्पाद, प्रक्रिया या सेवा में थोडा या बहुत बडा परिवर्तन लाने से है। नवाचार के अन्तर्गत कुछ नया और उपयोगी तरीका अपनाया जाता है, जैसे- नयी विधि, नयी तकनीक, नयी कार्य-पद्धति, नयी सेवा, नया उत्पाद आदि। नवाचार को अर्थतंत्र का सारथी माना जाता है।
नवाचार पर अनेकों परिभाषाएँ दी गयी हैं, लेकिन उनमे से क्रोसन और अपयडिन के द्वारा दी गयी परिभाषा सबसे सारगर्भित और पूर्ण है, जो कि इस प्रकार है -
"नवाचार आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में एक मूल्य जोड़ने वाली नवीनता का उत्पादन या स्वीकृति, परिपाक और दोहन है; उत्पादों, सेवाओं, और बाजारों का नवीनीकरण और विस्तार है; उत्पादन की नयी पद्धतियों का विकास है; और नये प्रबंध तंत्रों का स्थापन है। यह एक प्रक्रिया भी है और परिणाम भी।"
किसी संस्था के संदर्भ में नवाचार के द्वारा दक्षता, उत्पादकता, गुणवता, बाजार में पकड आदि के सुधार सम्मिलित हैं। अस्पताल, विश्वविद्यालय, ग्राम-पंचायतें आदि सभी संस्थायें नवाचारी हो सकती हैं।
जो संस्थायें नवाचार नहीं कर पातीं वे नाश को प्राप्त होती हैं। उनका स्थान नवाचार में सफल हुई संस्थायें ले लेतीं हैं। नवाचार में सबसे महत्वपूर्ण चुनौती प्रक्रिया-नवाचार तथा उत्पाद-नवाचार में सामंजस्य बैठाना होता है।
वर्तमान समय में अनेकों प्रकार के नवाचारों की बात की जाती है। उनमें से कुछ ये हैं-