फ्रिडचॉफ नानसेन | |
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१९१५ में नानसेन | |
जन्म |
10 अक्टूबर 1861 स्टोर फ़्रोएन, क्रिश्चियनिया (अब ओस्लो), नॉर्वे |
मौत |
13 मई 1930 लिसाकर, नॉर्वे | (उम्र 68)
पेशा | खोजकर्ता, वैज्ञानिक, मानवतावादी राजनयिक, |
जीवनसाथी |
ईवा सार्स सिगरुन मुंथे |
बच्चे | २ बेटियां, ३ बेटे |
पुरस्कार | नोबेल शांति पुरस्कार (१९२२) |
हस्ताक्षर |
फ्रिडचॉफ नानसेन (१० अक्टूबर १८६१ - १३ मई १९३०) एक नॉर्वे के खोजकर्ता, वैज्ञानिक, मानवतावादी राजनयिक, और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता थे। अपनी जवानी में वह चैंपियन स्कीयर और आइस स्केटर रहे। उन्होंने टीम का नेतृत्व किया जिसने १८८८ में आंतरिक ग्रीनलैंड द्वीप को क्रॉस-कंट्री स्की से पार किया। उन्होंने १८९३-९६ के उत्तरी ध्रुव अभियान के दौरान ८६°१४' के उत्तरी अक्षांश तक पहुंचने के बाद अंतरराष्ट्रीय ख्याति जीती। यद्यपि वह नॉर्वे लौटने के बाद सेवानिवृत्त हुए, उनकी ध्रुवीय यात्रा की तकनीकों और उपकरणों और कपड़ों में उनके नवीनता ने बाद के आर्कटिक और अंटार्कटिक अभियानों को प्रभावित किया।
अपने बाद के जीवन में वे राष्ट्र संघ से जुडे रहे और १९२१ में संघ के शरणार्थियों के लिए उच्चायुक्त बने। नानसेन के नेतृत्व में राष्ट्र संघ ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शरणार्थीयों के लिए यात्रा दस्तावेज (पासपोर्ट) बनाया जो "नानसेन पासपोर्ट" के नाम से जाना गया। १९२२ में उन्हें प्रथम विश्व युद्ध और संबंधित संघर्षों से विस्थापित पीडि़तों की ओर के उनके काम के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। १९३० में दिल के दौरेसे उनकी मृत्यु हुई और राष्ट्र संघ ने उनके कार्य को आगे बढाना देने के लिए शरणार्थियों के लिए नानसेन अंतर्राष्ट्रीय कार्यालय का गठन किया जिसे १९३८ में नोबेल शांति पुरस्कार मिला।