स्वेतलाना एलिल्युयेवा | |
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जोसेफ़ स्टालिन बेटी स्वेतलाना के साथ | |
जन्म |
स्वेतलाना 28 फ़रवरी 1926 मास्को, रूस, सोवियत संघ |
मौत |
22 नवम्बर 2011 Richland Center, Wisconsin, U.S. | (उम्र 85)
राष्ट्रीयता |
सोवियत संघ (1926–1967, 1984–1986) अमेरिकी (1967–1984) British (1992–2011) |
उपनाम | लाना पीटर्स |
पेशा | writer and lecturer |
धर्म | Roman Catholic |
जीवनसाथी |
Grigory Morozov (1943–1947) Yuri Zhdanov (1949–1950) William Wesley Peters (1970–1973) |
बच्चे |
Joseph Alliluyev (1945–2008) Yekaterina/Katya (1950–) Olga/Chrese Evans (1971–) |
माता-पिता |
जोसेफ़ स्टालिन Nadezhda Alliluyeva |
स्वेतलाना एलिल्युयेवा या स्वेतलाना अलिलुयेवा (जॉर्जियाई: სვეტლანა იოსებინა ალილუევა, रूसी: Светла́на Ио́сифовна Аллилу́ева) (28 फ़रवरी 1926 – 22 नवम्बर 2011) सोवियत संघ के चर्चित नेता, राष्ट्रपति जोसेफ़ स्टालिन की इकलौती लड़की संतान थी। अपने पिता के बजाय अपनी मां के नाम का इस्तेमाल करती थीं। स्वेतलाना ने चार शादियां की थीं। आखिरी शादी उन्होंने पेट्रास से की थी।
वे बृजेश सिंह की ‘अनौपचारिक’ पत्नी थीं। बृजेश सिंह उन भारतीय कम्युनिस्टों में से एक थे जिन्होंने बीसवीं सदी के तीसरे दशक के बाद मॉस्को को अपना घर बनाया था। 1967 में बृजेश सिंह की मौत हो गई। कहा जाता है कि वहां उनका सही इलाज नहीं किया गया था।
स्वेतलाना ने तय किया था कि उनका अंतिम संस्कार हिंदू रिति- रिवाज के हिसाब से करेंगी। वह ब्रजेश सिंह कि अस्थियां गंगा में बहाने के लिए भारत भी लाई थी। हालांकि सोवियत नेताओं ने स्वेतलाना को ऐसा न करने के लिए मनाने की काफी कोशिश की थी। कहा जाता है कि उस समय के सोवियत प्रधानमंत्री अलेक्सी कोसिगिन ने उनसे कहा था कि वह जोखिम ले रही हैं क्योंकि कट्टर हिंदुओं में विधवाओं को मृत पति के साथ जलाने की परंपरा है। जिद पर अड़ी स्वेतलाना भारत पहुंच गईं। वह ब्रजेश सिंह के घर गई और वहीं बसना चाहती थीं। लेकिन भारत में रुकने की उन्हें अनुमति नहीं मिली।
जब वह उत्तर प्रदेश में अपने पति के पुश्तैनी गांव से दिल्ली लौटीं तो भारत नेहरू के बाद पहले आम चुनाव की गहमागहमी के बीच था। इसलिए वह उस समय के मीडिया में महत्वपूर्ण खबर नहीं बन सकी। लेकिन अचानक एक सुबह एक छोटे परमाणु धमाके जैसी खबर आई। स्टालिन की बेटी ने दिल्ली से अमरीका में शरण लेने की ठानी है।. सोवियत संघ ने भारत से कड़ा विरोध जताया। भारत इसमें कुछ नहीं कर सकता था अमेरिका के दबाव के आगे नेहरू झुक गए। स्वेतलाना भारत में सोवियत संघ के राजदूत निकोलाई बेनेडिक्टोव के यहां सोवियत दूतावास ठहरी हुई थीं।
वह धोखे से अमरीकी दूतावास में चली गई। अमरीकी दूतावास तब तक बंद हो चुका था। स्वेतलाना ने ड्यूटी पर तैनात अधिकारी को बताया कि वो कौन हैं और क्या चाहती हैं। अमरीकी राजदूत चेस्टर बॉवल्स को रात में आना पड़ा और अमेरिका जाने का रास्ता साफ हो गया। अमेरिका उस समय हर सोवियत संघ से भागे व्यक्ति को शरण देता था। राजदूत ने एक सीआईए अधिकारी के साथ स्वेतलाना को रोम की एक फ्लाइट में सवार होने के लिए एयरपोर्ट भेज दिया। फिर वहां से वह अमेरिका पहुंच गईं। जब स्वेतलाना रोम में सुरक्षित पहुंच गईं तभी इस खबर को जग जाहिर किया गया।
स्वेतलाना ने चार शादियां की थीं। आखिरी शादी उन्होंने विलियम पेट्रास से की थी। 1984 में वह सोवियत संघ लौट आई और पश्चिम को काफी कोसा। लेकिन एक साल बाद ही उनका बदलते रूस से मोह भंग हो गया और अमेरिका लौट गई और वहां जा कर कहा कि अब वह कभी रूस नहीं जाएंगी। अमेरिका में जा कर स्वेतलाना तो मीडिया में छाई रही लेकिन बेवकूफी भरे तमाम फैसलों के कारण उनकी जिंदगी के आखिर लम्हे तंगहाली में गुजरे। बायोग्राफी के लिए उस जमाने उन्हें 25 लाख डालर मिले थे। लेकिन उन्होंने काफी पैसा दान कर दिया और गलत निवेश में लगा दिया। यह दान उन्हें काफी भारी पड़ा। सोवियत संघ से भाग कर अमेरिका आए लोगों को वह मदद करती रही। लेकिन इस चक्कर में वह खुद मुसीबत में पड़ गई। स्वेतलाना की लड़की ओल्गा पोर्टलैंड में रहती है, जबकि बेटे जोसफ की मौत 2008 में हो गई थी। स्वेतलाना के दोनों भाइयों की मौत बहुत पहले ही हो गई थी।
22 नवम्बर 2011 को 85 वर्ष की आयु में अमरीका में निधन हो गया है।